दोस्तो Bluetooth के बारे में कोन नहीं जानता सायद वो ही जिसके पास मोबाइल या दूसरे टेक्निकल डिवाइसेस नही होगा , लेकिन जिस किसी के पास स्मार्ट फ़ोन हैं। वो सब तो अवश्य ही जानते होंगे, क्योंकि ब्लूटुथ हमारे फ़ोन से जुड़े एक बहुत ही महत्वपूर्ण डिवाइस है।
आज ब्लूटुथ के कारण ही हमारा मोबाइल किसी एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस के साथ कनेक्ट हो पाता है।
Bluetooth क्या है : ब्लूटुथ एक कम दूरी में काम करने वाली एक वायरलेस टेक्नोलॉजी है। जो कि दो या दो से अधिक डिवाइसेस के बीच बिना किसी वायर के सहायता से एक दूसरे डिवाइस के साथ डेटा को ट्रांसमिट करने वाला डिवाइस है।
कैसे पड़ा इसका नाम Bluetooth : 10वी शताब्दी में एक महान राजा राज किया करता था जिनका नाम Harald"Bluetooth"Gormsson था। जिन्होंने अपनी टेक्नोलॉजी के जरिये डेनमार्क और नॉर्वे देश को बिल्कुल एक साथ जो दिया था। बिल्कुल वैसे ही जैसे आज के समय मे दो डिवाइसेस को एक साथ जोर देते है। इस राजा को ब्लूटुथ के वादी माने जाते थे क्योंकि इस राजा के जब एक दाँत टूटा तो वो एक गहरे नीले रंग का था। जिसके कारण ही ब्लूटुथ का नाम ब्लूटुथ रखा गया।
Bluetooth का इतिहास : ब्लूटुथ को सन,1996 में केबल की जगह बिना केबल के तौर पर बनाया गया , ये वे दूसरी वायरलेस टेक्नोलॉजी जैसे कि घर, ऑफ़िस में प्रयोग होने वाले फ़ोन और wifi के जगह ये 2.4 ghz frequency पर ये काम करता है। लेकिन इसकी स्पीड काफी कम होते है और ये बहुत ही कम दरियो पर ही काम करती है
कैसे काम करता है Bluetooth : दोस्तो हमारी हर वो डिवाइसेस जो नेटवर्किंग के काम मे आती है और उस हर डिवाइस से एक तरह के इलेक्ट्रो मैगनेटिक फ्रीकेवेंसी निकलती रहती है जो कि एक फिक्स डेमोंट की होती है इस फ्रीकेवेंसी पर निकलने वाली वेब्स जब एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस की ओर जाती है तब दोनो ही डिवाइसेस चेक करती है कि आनेवाली सिंगनल में सेम फ्रीकेवेंसी का वेब है या नहीं, अगर है तब वो उसके साथ जुड़ने की कोशिस करते है जिसे हम पेयरिंग कहते है।
ब्लूटुथ अपने चारो तरफ करीब 10 मीटर (33 फिट) के दायरे में एक रेडियस वायरलेस नेट्वर्क का निर्माण करता है जिसे पिकोनेट ( Piconet ) कहते है जो कि दो से लेकर आठ डिवाइसेस के बीच सम्पर्क स्थापित कर सकता है
अगर आप अपने मोबाइल से आपने किसी कंप्यूटर में डाटा को भेजना चाहते है तो आप ब्लूटुथ के जरिये बिना किसी केबल जरिये के भेज सकते है और इससे जो भी डाटा ट्रान्सफर होता है वो बिल्कुल सिकियोर होता है लेकिन इससे आप बहुत बड़े साइज के डेटा काफी कम समय मे नहीं भेज सकते है मतलब जितना बड़ा फ़ाइल रहेगा आपका उतना ही समय लग सकता आपको भेजने में।
दरसल दो डिवाइसेस के बीच डाटा भेजने के लिए रेडियो वेब कनेकशन का इस्तेमाल किया जाता है इस वेब की मदद से डेटा भेजने की स्पीड करीब 720 kbps की होती है जो बाकी टेक्नोलॉजी से काफी कम है लेकिन ये सिकियोर होती है और इस टेक्नोलॉजी में 2.45 ghz फ्रीकेवेंसी की वेब्स का इस्तेमाल करते है लेकिन इस वेब को और भी स्पेशिविक बनाने के लिए इनके साथ 79 चैनल का इस्तेमाल किया जाता है जिनके जरिये डेटा सेंड या रिसीव किया जाता है
79 चैनल क्या है : दरसल इन 79 चैनल में से डेटा भेजने का कार्य सिर्फ दो चैनल से होता है इसलिए ब्लूटुथ उन्ही दो चैनल से आनेवाली रेडियो वेब्स ही आपस मे कनेक्ट हो पाते है बाकी सब खाली चले जाते है औऱ ये अन्य डिवाइसेस के कनेक्शन में बाधा भी नही डालते क्योकि वे अलग अलग फ्रीकेवेंसी का इस्तेमाल करते है जिससे ओवर लैप नहीं होता है जिसे ( Principal behind Bluetooth technology ) कहा जाता है
दोस्तो अगर बात करे हेडफोन , माउस या साउंड सपीकर आदि की तो उसमे भी बिल्कुल ऐसे ही होता है वहाँ डेटा की जगह एक प्रोपर सिंग्नल उसी फ्रीकेवेंसी और चैनल पर भेजे जाते हैं जिसे बाद में दूसरे डिवाइस में लगे ब्लूटुथ की जरिये रिड करके प्रोसेसिंग में लाया जाता है जिससे हम उस डिवाइस को प्रोपर तरीके से हेंडल कर पाते है
Bluetooth आज के समय मे : अगर हम बात करे इस टेक्नोलॉजी में तो ब्लूटुथ में wifi के अपेक्षा बहुत ही कम पावर की जरूरत होता है साथ ही इसे कनेक्ट करना बहुत ही आसान होता है इसके लिए आपको किसी भी एप्प या फ़ाइल को इनस्टॉल नही करना पड़ता है साथ ही इसकी कीमत भी काफी कम होती है जिसके कारण ही ब्लूटुथ को इतने इस्तेमाल किया जाता है
👉तो दोस्तो कैसा लगा Bluetooth के ये रोचक जानकारी हमे कॉमेंट करके बताना
👍 Thankyou! 👍
☺️Have a great day!